(16) जनाब अबु सईद ख़ुज़री
रिसालत पनाह के जांनिसार और हज़रत अली अ॰ के आशिक़ व पैरू थे। मदीने में इन्तिक़ाल हुआ और वसीयत की बिना पर बक़ीअ में दफ़न हुए। रफ़त पाशा ने अपने सफ़रनामे में लिखा है कि आपकी क़ब्र की गिन्ती मारूफ़ क़ब्रों में होती है। इमाम रज़ा ने मामून रशीद को इस्लाम की हक़ीक़त से मुताल्लिक़ जो ख़त लिखा था उसमे जनाब अबुसईद ख़ुज़री को साबित क़दम और बाईमान क़रार देते हुए आपके लिये रजि़अल्लाहु अन्हो व रिज़वानुल्लाहु अलैह के लफ़्ज़ इस्तेमाल किये थे।